भारतीय संस्कृति में नया वर्ष गुड़ी पड़वा से प्रारंभ होता हैः बसंत महाराज

भगवान का नाम लेने से पानी पर पत्थर तैर जाता है बताया गया है कि नाम लेत भव सिंधु सुखाय और भगवान के हाथ से छूटा वह तो समुद्र में डूबी जाएगा उसके तैरने का सवाल ही नहीं उठता। उपरोक्त उद्गार अध्यात्म रत्न ब्रह्मचारी इतिहास रचनाकार बसंत महाराज ने 1 जनवरी को नव वर्ष के उपलक्ष में गरमेटा पर्वत शिव धाम तीर्थ पर अपने प्रवचनों में बताया कि अंग्रेजी वर्ष के प्रारंभ से 1 जनवरी को नया वर्ष प्रारंभ पर बताया कि जो संस्कृति के निकट है वे जानते हैं कि भारतीय संस्कृति में नया वर्ष 1 जनवरी से नहीं चेत्र माह के गुड़ी पाडवा से प्रारंभ होता है हमारे राष्ट्र में नई शुरुआत गुड़ी पड़वा से होती है जो व्यक्ति भगवान का ध्यान रखता है भगवान उसका ध्यान रखता है यह देश कृषि प्रधान और कृषि प्रधान देश है हमारे देश में दो चीजों की महत्ता है ऋषि और कृषि की,, ऋषि से ज्ञान मिलता है ज्ञान से आत्मा केबल का निर्माण होता है और अन्य से शरीर का निर्माण होता है। जिसमें पॉजिटिव थिंकिंग रखने का संकल्प इस वर्ष आज से सकारात्मक सोच रखना है हम परमात्मा का ध्यान रखें परमात्मा हमारा ध्यान रखेगा ऐसा निमित्त नैतिक संबंधित है प्रभु के स्मरण में बहुत शक्ति है धर्म का ध्यान रखें धर्म हमारा ध्यान रखेगा आपके जीवन का दिशा ही बदल जाएगी। इससे सहनशीलता अच्छाई आएगी हर परिस्थितियों में सकारात्मकता दिखाई देगी जिस व्यक्ति का सकारात्मक दृष्टिकोण होता है उसके जीवन में कभी निराश नहीं आती। मंगलाचरण गुरैया से आए पंडित धन कुमार ने प्रारंभ किया शिव धाम समिति के अध्यक्ष याग्नेश शर्मा, समाजसेवी देवेंद्र जैन, महेंद्र पप्पू जैन, नगर पालिका अध्यक्ष नवीन जैन, सुरेश साहू, मुन्नाा साहू, सुमेर चंद साहू, अरविंद्र जैन, शैलेंद्र पटेल, अभिषेक जैन, अंशुल जैन, ध्रुव कहार, धरम वर्मा हलक चंद्र सूर्यवंशी रामकृष्ण शांति धुन समिति के सभी सदस्यों के साथ सुलेखा जैन गुंजन जैन सुरक्षा जैन अभिलाषा गोल्डी आकृति अंकित छुटकी उपस्थित रहे।