सती वृंदा (तुलसी) के वन में श्रीकृष्ण नित्य विहार करते हैं। 'वृंदावनं परित्यज्य पादमेकं न गच्छति' वृंदा का समर्पण ही ऐसा है, न वह प्रभु से अलग रहती है, न प्रभु उसे छोड़ कहीं जाते हैं।
तुलसी विवाह की बधाई!
सती वृंदा (तुलसी) के वन में श्रीकृष्ण नित्य विहार करते हैं। 'वृंदावनं परित्यज्य पादमेकं न गच्छति' वृंदा का समर्पण ही ऐसा है, न वह प्रभु से अलग रहती है, न प्रभु उसे छोड़ कहीं जाते हैं।
तुलसी विवाह की बधाई!